People around the world talk about forest conservation, however trees,plants and nature is so much inculcated in Indian culture and rituals that they can’t be separated. Trees have been treated like companions and family members from ages in Indian society and we do learn life lessons from them too .
Here is one for all of us, in the form of a Indian folk tale…
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लघुकथा
अपनी संकल्प शक्ति को पहचानें।
(मानव जीवन में संकल्प शक्ति बहुत सिद्धि देती है। संकल्प शक्ति के बल पर व्यक्ति की अच्छी और बुरी इच्छाएं तुरंत पूरी हो जाती हैं। जब कोई व्यक्ति यह अनुभव करने लगे कि उसकी विचार और संकल्प पूरे होने लगे हैं तो उसे सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह स्थिति बहुत खतरनाक साबित हो सकती है। मनुष्य की इसी संकल्प शक्ति को लेकर यह लोक कथा लिखी जा रही है।)
एक बार एक मुसाफिर किसी जंगल में पैदल जा रहा था कि रास्ते में एक हरा भरा सुंदर वृक्ष दिखाई दिया। वह व्यक्ति चलते चलते थक गया था तो उसने सोचा “चलो इस पेड़ की शीतल छाया में थोड़ी देर के लिए विश्राम कर लेता हूं।”
उसे यह पता नहीं था कि जिस पेड़ के नीचे वह बैठा था, वह कल्पवृक्ष (संकल्प पूरे करने वाला) पेड़ था जैसे ही उस मुसाफिर ने उस कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर विश्राम करने की सोची तुरंत आसपास का वातावरण शीतल और सुहाना हो गया। लेटते ही थोड़ी देर में उसे प्यास लगी और उसने इच्छा की कि कहीं से ठंडा जल मिल जाता तो प्यास बुझा लेता। तत्काल उसके पास ठंडे जल का भरा हुआ पात्र प्रकट हो गया। उसने प्यास बुझा ली। कुछ देर बाद मुसाफिर को भूख लगी। उसने मन में भोजन की इच्छा की तो तुरंत भोजन आ गया। भोजन करने के बाद उसने आराम करने के लिए सोना चाहा तो उसके सामने गद्देदार बिस्तर का पलंग प्रकट हो गया। वह मुसाफिर उस पर लेट गया।उसकी इच्छा शक्ति तेजी से काम कर रही थी।
यहां यह ध्यान देने की बात है कि उस मूर्ख मुसाफ़िर ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि इस निर्जन वन में ये सब सुविधाएं कहां से आ रही हैं, कौन ला रहा है, क्यों ना रहा है? बस वह मुसाफिर तो संकल्प से जनम लेने वाली इच्छाएं किए जा रहा था और वे पूरी हो रही थी। उसका विवेक तो जगा ही नहीं। कुछ देर बाद उसे पलंग पर लेटे लेटे नींद आ गई।
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आंख गहरी लग गई और जब सोकर उठा तो शाम हो चुकी थी।अब वह बहुत चिंता करने लगा और सोचने लगा कि “अब मुझे चलना चाहिए। अंधेरा हो गया है। कहीं ऐसा नहीं हो कि कोई शेर आ जाए और मुझे खा जाए।” उस मूर्ख मुसाफिर ने इतना मन में सोचा ही था कि एक शेर उस पर झपट पड़ा थोड़ी देर में उसे खा गया। मुसाफिर ने जो भी कुछ मन में अच्छा या बुरा सोचा, वह साकार हो गया देर ही नहीं लगी।
कई बार जीवन में हम भी ऐसी ही इच्छा और विचार करते हैं तो वे तुरंत पूरे हो जाते हैं। इस जगत में प्रत्येक कल्पना, विचार, इच्छा महत्वपूर्ण होता है और जब हम उसे पूरे मन, चित्त और संकल्प से इच्छा में बदलते हैं तो वह किसी ने किसी समय अवश्य पूरी हो जाती है। इसलिए हम अपनी संकल्प शक्ति को पहचाने और ध्यान रखें कि वही इच्छा करें जो हमारे लिए अच्छी हो। वरना तो परेशानी में पड़ सकते हैं। इस कहानी में कल्पवृक्ष से हमारा आशय संकल्प शक्ति (will power) से है।
इति शुभम। 🌹🙏
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Story credit:
Mr. Dalchand
A Storyteller by heart
Storytelling has its own charm in learning and teaching. Native stories make a strong impact, with ease of understanding as they are deep rooted in culture and community. Hindi being my mother tongue never left its space in my heart. I strongly believe that in early childhood teaching in mother tongue is definitely the easiest way to reach to a child’s heart.
Indian folklore has been passed through generations over the centuries, with the words of wisdom which benefit young and old equally. I plan to share these short stories aka folk tales every once in a while to my audience, use them as a warm up activity, lunch break filler, going home time activity or simply read to your own children. Stories have their own magic!
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