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Folktales-3

Another Gem in Indian folklore, How important life lessons can be learnt from ancient Indian stories of kings and queens……. Their experiences our learning….

लघुकथा
“जो करना है स्वयं करो, दूसरों के भरोसे मत रहो।”

एक बार जोधपुर में जसवंत सिंह जी नाम के महाराजा थे। वे योगिक क्रियाओं में दक्ष थे।प्रतिदिन घंटों योगाभ्यास करते थे। समाधि जैसी गुप्त साधना भी भलीभांति जानते थे। एक दिन उनके मन में आया कि उनके निकट सहयोगियों की वफादारी का पता लगाया जाए। तो उन्होंने एक तरकीब निकाली।

Jodhpur Maharaj Jaswant singh

महाराज ने अपने परम विश्वसनीय लोगों को बुलाया और कहा ” मेरे मन में एक इच्छा है, आप पूरी करोगे?”
उन्होंने एक स्वर में कहा “आपके के लिए हम अपने प्राण भी देने को तैयार हैं।” महाराजा बोले ‘मुझे तुम्हारा जीवन नहीं चाहिए, वह तो हम सबको ईश्वर ने दिया है, वो ही जीवन वापस लेने हकदार हैं।’मेरी तो सिर्फ इतनी सी इच्छा है कि जब मैं मर जाऊं, तो कम से कम मेरे शरीर पर धारण किए हुए आभूषण और हीरे-जवाहरात दीनहीन, गरीबों में बाँट देना। मंदिरों, आश्रमों में दान दे देना। चाहें तो आप लोग राजकोष में से और धन ले सकते हैं, पर मेरी अंतिम इच्छा अवश्य पूरी करना।’ ये सुनकर राजा के प्रधान मंत्री ने आश्वासन दिया की महाराज आपकी इच्छा अवश्य पूरी की जायेगी।साल दो साल बाद ये बात सब भूल गए। अब महाराजा ने अपने सभी निष्ठावान मंत्रियों की परीक्षा लेने की ठानी।

योग विद्या के जानकार होने के कारण वे समाधि लगा सकते थे।समाधि की हालत में शरीर बाहर से मृत दिखता है, नाड़ियां बहुत मंद चलती हैं, श्वांस रुक सा जाता है परंतु समाधि लगाने वाला ऐसा योगी सब कुछ देख-सुन सकता है।

एक दिन महाराजा ने पेट दर्द का बहाना किया और लेट गए, समाधि लगा ली। सभी मंत्री गण उनके चारों ओर इकट्ठा हो गए। उन्होंने सोचा महाराज अब मारने वाले हैं, इसलिए उन्हें भूमि पर उतार लिया। मंत्री ने अपने साथियों से पूछा “इनके शरीर के आभूषणों आदि का क्या किया जाये।” उन्होंने महाराज की अंतिम इच्छा के बारे में बताया कि महाराज तो इन आभूषणों को गरीबों में बांटना चाहते थे। मंदिरों और आश्रमों को दान देना चाहते थे। ये सुनकर महाराज का प्रधानमंत्री बोला “तुमने भी क्या बात कही है। महाराज तो मूर्ख और गधे होते हैं। अब हम राजा हैं। हम जो चाहेंगे, वो ही होगा।”

महाराजा की हाँ में हाँ मिलानी पड़ती है और महाराजा को भरोसा दिलाना पड़ता है कि सब कुछ उनकी इच्छानुसार ही होगा।” यहाँ सुनकर महाराज के कुछ वफ़ादार मंत्री बोले “नहीं, महाराजा की अंतिम इच्छा पूरी करनी होगी। हमने उनको वचन दिया था।” इस पर प्रधान मंत्री पलटते हुए बोले “अरे, हम इन आभूषणों के जैसे ही नकली आभूषण बनवाकर गरीबों में बांट देते हैं। इससे महाराजा को दिया वचन भी पूरा हो जायेगा और हम सम्पति भी प्राप्त कर सकेंगे। “इतना कहकर प्रधान मंत्री ने नकली गहने बनाने वाले को बुलवाया। ठीक इसी समय महाराजा ने अपनी समाधि तोड़ दी और ओम की आवाज के साथ उठ खड़े हुए।

महाराज ने अब तक हुआ सारा घटनाक्रम देख-सुन चुके थे। प्रधान मंत्री भयभीत होकर कांपने लगे परंतु जल्दी ही संभलकर चिल्लाने लगे “हमारे महाराज जीवित हैं, भगवान का लाख लाख धन्यवाद।” महाराज की जय जय कार करने लगे।तब महांराजा बोले ” ये सब नाटक बंद करो, मुझे आप सब लोगों की वफादारी का पता चल गया है।”
फिर महाराजा ने गरीबों, मंदिरों,आश्रमों को पर्याप्त धन और भूमि दान दी। आज भी जोधपुर के प्राचीन मंदिरों और आश्रमों के पास पर्याप्त धन है।

इस कथा के कई अर्थ हैं। महाराजा को समाधि अवस्था में अपने मंत्रियों की वफ़ादारी का पता चल गया। दूसरे जब सत्ता, संपत्ति और धन का प्रश्न उठता है तो लोगों का असली चेहरा सामने आ जाता है। इसलिए हम जो भी करना चाहते हैं, स्वयं कर डालें, दूसरों के भरोसे नहीं रहें।


इति शुभम।

Story credit:

Mr. Dalchand

A Storyteller by heart

Storytelling has its own charm in learning and teaching. Native stories make a strong impact, with ease of understanding as they are deep rooted in culture and community. Hindi being my mother tongue never left its space in my heart. I strongly believe that in early childhood teaching in mother tongue is definitely the easiest way to reach to a child’s heart.
Indian folklore has been passed through generations over the centuries, with the words of wisdom which benefit young and old equally. I plan to share these short stories aka folk tales every once in a while to my audience, use them as a warm up activity, lunch break filler, going home time activity or simply read to your own children. Stories have their own magic!

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Jaswant Thada monument in Jodhpur
Jaswant Thada monument in Jodhpur

9 thoughts on “Folktales-3”

  1. गुरु जी प्रणाम आपका जवाब नहीं शानदार कहानी के माध्यम से जीवन में बहुत बड़ी शिक्षा ले सकते हैं पूर्णानंद महरडा

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  2. सर जी, इस लघु कथा के द्वारा सत्य बात को अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है । सुंदर व्याख्या, ।

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